09

Chapter 9

सुबह होने में अभी टाइम है । तब तक राधा को इस इंसान की देखभाल करनी थी । उस ने एक हाथ से गिला टॉवल उस के चेहरे पर रखा और दूसरे हाथ से फोन पर गूगल सर्च करने लगी, घाव का इलाज कैसे करें।

उसने गूगल पर सर्च किया , कि चोटों का इलाज कैसे किया जाता है? चोट के लिए तो उसे गूगल ने बहुत सारे ज्ञान दे दिए थे। लेकिन जो जख्म इस वक्त उस आदमी के पीठ पर था, वह किसी मामूली चोट का नहीं था । ऐसा लग रहा था, कि कोई चीज उस के स्किन को फाड़ कर अलग हुई है। जैसे की कोई चाकू या फिर कोई बंदूक की गोली।

इतने बड़े जख्म को देख कर राधा की हालत वैसे ही खराब हो रही थी। ऊपर से गूगल भी उसका कुछ सही सा जवाब नहीं दे रहा था। लेकिन बहुत ढूंढने के बाद उसे एक ऐसा नुस्खा मिला, जिसमें लिखा था कि गर्म पानी के कपड़े को डेटॉल लगा कर अगर घाव के ऊपर रखा जाए तो कुछ समय के लिए राहत मिल जाती है।

राधा जल्दी से वॉशरूम में चली जाती है। वहां पर वह देखती है, कि एक छोटी सी डिटॉल की शीशी रखी हुई है। उसने जल्दी से गर्म पानी को एक मग में भरा और छोटे से टॉवल को उसमें डाल दिया । उसने आधे से ज्यादा डिटोल उस पानी के अंदर डाल दिया और उस गीले टॉवल को लेकर वह बेड के पास आती है। उसने वह डिटॉल के पानी वाला टावल सीधे उस के जख्म के ऊपर रख दिया। एक तेज चीख के साथ वह शख्स अपनी जगह पर उठ जाता है और चिल्लाते हुए कहता है, “ पागल हो गई हो क्या?”

राधा एक पल के लिए डर जाती है। लेकिन अगले ही पल उसने दोबारा से उस डिटॉल के कपड़े को घाव के ऊपर रखते हुए कहा, “ नहीं पागल नहीं हो गई हूं । आप जख्म ठीक हो जाएगा । इसीलिए डिटॉल का कपड़ा लगा रही हूं । जब तक डॉक्टर इसका इलाज नहीं कर देते हैं, तब तक डिटॉल सेप्टिक रोकने में मदद करेगा।”

उस आदमी ने एक तेज दर्द से अपनी आंखें बंद कर ली और अपने होठों को कस के भींज लिया। उस के हाथ मुठियो में कसे हुए थे और वह दर्द से तड़प रहा था । ऐसा लग रहा था, जैसे उस जख्म के दर्द से ज्यादा दर्द तो उसे इस इलाज से हो रहा है।

गर्म कपड़े को उस के जख्मों की पर रखने के बाद राधा सोफे पर जा कर बैठ जाती है और वह शख्स बेड पर ही अपने पीठ के बल बैठे हुए राधा को अपनी अधूरी आंखों से देख रहा था। राधा कल शाम को इतनी ज्यादा थक गई थी, कि उस की आंखें बार-बार ओझल हो रही थी। और वह सोने की कोशिश कर रही थी। लेकिन हर बार उस की नींद खुल जाती और वह फिर उठ कर बैठ जाती।

जैसे ही बाहर हल्की सी रोशनी आती है और अंधेरा ढ़लता है, वैसे ही उसे आदमी ने कर्कश लेकिन भारी आवाज में कहा, “ जाओ यहां से।”

राधा एक पल के लिए हैरान हो जाती है और हैरानी से उस आदमी को देखने लगती है । वह आदमी तेजी से सांस लेते हुए राधा को घूर कर देखता है और सख्त अंदाज में कहता है, “ अभी के अभी निकलो मेरे कमरे से। और हां चाहे कुछ भी हो जाए पलट कर मत देखना।”

राधा उस की बात सुन कर घबरा जाती है । उसे लगा यह शख्स आराम से सिर्फ उसे देख रहा है । लेकिन उस के शब्दों में राधा के हाथ पैर को कांपने पर मजबूर कर दिया था। राधा जल्दी से अपना बैग लेती है और उस के अंदर वह सारा सामान फिर से कूड़े की तरह डालने लगती है । जो उसने मेडिसिन ढूंढने के लिए पूरे टेबल पर गिरा दिया था और इसी बीच उस के हाथ में खून से सना हुआ वह कपड़ा भी आ जाता है, जो उसने उस शख्स के जख्म पर लगाए हुए थे । इतनी हड़बड़ी में राधा ने ध्यान ही नहीं दिया, कि उसने वह खून से भरा हुआ कपड़ा भी अपने बैग के अंदर ठोस दिया है।

वो जल्दी से अपनी जगह से खड़ी होती है और अगले ही पल दरवाजे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगती है । पर जैसे ही वह दरवाजे की हैंडल पर अपना हाथ रखती है, पीछे से उस आदमी की दर्द से लिपटी हुई आवाज आती है, “ लिफ्ट से मत जाना। सीडीओ का इस्तेमाल करना। और हां इसके बारे में किसी को मत बताना ।”

राधा डरते हुए उस आदमी को देख रही थी। जो भारी भरकम लेकिन घायल शरीर ले कर बेड पर पड़ा हुआ था। कल रात इतने दर्द में तड़पने के बाद भी उस आदमी ने हिम्मत नहीं हारी और खुद को जगाए रखने में पूरी हिम्मत दिखाई। राधा ने भी कोई कम हिम्मत नहीं दिखाई थी। उस के बस में जितना हो सका था, उसने किया था और इस आदमी को जगाए रखने में उसका का भी हाथ था ।

एक बार उस कमरे से निकलने के बाद राधा ने पीछे पलट कर नहीं देखा। और तेज कदमों से वह लॉबी की तरफ बढ़ गई । लिफ्ट और सीढ़ियां उसे एक साथ नजर आ रही थी। बिल्कुल दाएं बाएं चिपकी हुई। जाहिर सी बात है , एक बार धमकी मिलने के बाद उसमें इतनी हिम्मत तो थी नहीं कि वह लिफ्ट का इस्तेमाल करेगी ।

अपने कदमों को हिम्मत देते हुए राधा सीडीओ की तरफ बढ़ जाती है और पूरे 10 मंजिल वह सीडीओ से उतर कर नीचे ग्राउंड फ्लोर पर आती है। उस की सांस फूल गई थी, पैर दर्द करने लगे थे । और चेहरा पसीने से भर गया था। उस की सांसे ऊपर नीचे अस्थिर तरीके से भाग रही थी । जाहिर सी बात है 10 मंजिल सीडीओ से उतरना मामूली बात नहीं थी

जैसे ही वह लास्ट की मंजिल पर पहुंचती है, उस की सांसे बहुत तेजी से उखड़ रही थी और वह हताश के साथ इधर-उधर देख रही थी। तभी एक औरत ने उस की तरफ छोटी सी पानी की बोतल बढ़ाते हुए कहा, “ पानी पी लो गुड़िया।”

राधा तेजी से सांस लेते हुए देखती हैं, तो एक उम्र दराज औरत उस के सामने थी। जिसने सिंपल सी साड़ी पहन रखी थी और उस के हाथों में वह पानी की बोतल थी। न जाने क्यों राधा को उस औरत को देख कर अच्छा लग रहा था। उस के चेहरे पर एक अलग ही आबादी और एक अलग ही सुकून था । राधा ने उस के हाथों से वह पानी ले लिया और मुस्कुराते हुए कहने लगी, “ थैंक यू आंटी। मुझे पानी की बहुत जरूरत थी।”

उस महिला ने मुस्कुराते हुए हा में सर हिलाया और फिर ऊपर सीडीओ की तरफ चली गई। राधा पानी पीते हुए उस औरत को देखते रह गई । जहां राधा की इस उम्र में उतरने में हालत खराब हो रही थी, तो वह औरत कम से कम नहीं तो 50 के आसपास की रही होगी। और वह सीडीओ से ऊपरी मंजिल पर जा रही है । राधा को अपनी कमजोर हड्डियों पर अब शर्म आ रही थी।

होटल के रिसेप्शन एरिया से जाते हुए राधा देखती है, कि जिस लड़की ने उसे कल रात कमरे की चाबी दी थी वह लड़की अब रिसेप्शन पर नहीं है और उस की जगह कोई दूसरी लड़की है। यह लड़की राधा को नहीं पहचानती थी। इसलिए राधा चुपचाप वहां से निकल जाती है। जैसे ही वह होटल के बाहर निकलती है, उसने एक सुकून की सांस ली। ऐसा लग रहा था, कि कोई चीज उस के गले में फंसी हुई थी और वह न जाने कौन सी जंग जीत कर आई है।

अभी-अभी सूरज की रोशनी पूरे जगह फैल ही रही थी। और अंधेरा ठीक से छुपा भी नहीं था। इतनी सुबह-सुबह उसे यहां पर कहीं ऑटो या कुछ भी नजर नहीं आएगा। तो वह घर कैसे जाएगी ? यही सोचते हुए वह बस चले जा रही थी । लेकिन जैसे ही वह होटल के एरिया से निकल कर बाहर की तरफ आती है , उसे एक जानी पहचानी आवाज सुनाई देती है, “ राधा ।”

राधा के आंखे एकदम हैरानी से बड़ी हो जाती है और वह पलट कर देखती है, तो प्रिया उस के पास एक ऑटो के साथ खड़ी थी। प्रिया को देख कर राधा की आंखें एकदम हैरान हो जाती है। और वह हैरानी से प्रिया के पास आ जाती है उसने प्रिया को देखते हुए कहा, “ तू यहां क्या कर रही है ? और तुझे किसने बताया ? कि मैं यहां पर हूं । तूने मुझे ढूंढा कैसे ?”

“ मैंने तुझे नहीं ढूंढा । अरे मैं यहां पर प्रथम को ड्राप करने आई थी। मैं तो बस घर ही जा रही थी, कि तभी मेरी नजर तुझ पर पड़ी। मुझे पहले लगा था, कि शायद यह मेरी आंखों का धोखा है । लेकिन जब मैंने तेरा चेहरा देखा तब यकीन हो गया, कि यह मेरा धोखा नहीं है। बल्कि सच में तू ही है।

लेकिन तू यहां क्या कर रही है? और तेरे चेहरे पर यह घबराहट कैसी है ? प्रिया ने उस के चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा। लेकिन राधा जल्दी से ना में सर हिलाती है और ऑटो में बैठते हुए कहती है, “ तुझे सब कुछ बताऊंगी । लेकिन अभी नहीं , घर पहुंच कर। फिलहाल यहां से चल।”

उस के आगे प्रिया ने कोई सवाल नहीं किया। वह चुपचाप ऑटो में बैठी और ऑटो उनके घर की तरफ चला जाता है । पूरे रास्ते प्रिया राधा का डरा हुआ और घबराया हुआ चेहरा देख रही थी। वह देख रही थी, कितनी बुरी तरीके से उसने अपने पर्स की हैंडल को मरोड़ा हुआ है।

एक बार प्रिया के घर में पहुंचने के बाद प्रिया बेड के ऊपर पालती मार कर बैठ जाती है। और ब्लैंकेट के अंदर अपने पैरों को छुपा लेती है। उसका चेहरा अभी भी डर और घबराहट से भरा हुआ था। प्रिया ने उस के सामने पानी का गिलास रखा और उससे पूछा, “ क्या बात है ? अब तो बता। जब से मिली है, तब से ही तेरे चेहरा पर डरा हुआ दिख रहा है । आखिर हुआ क्या है तेरे साथ ?”

अपने घबराते हुए चेहरे के साथ राधा जल्दी से प्रिया का हाथ पकड़ लेती है और उसे कहती है, “ प्रॉब्लम हो गई है यार। बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है । मुझे लगता है वह शख्स. वह किसी गैंग लॉर्ड के चक्कर में है। और इसीलिए मैं भी कहीं उनकी नजर में ना आ जाऊं। प्रिया मुझे इन सब में शामिल नहीं होना है। मेरी लाइफ वैसे ही झंड हो रखी है। ऊपर से यह नया सिय्यापा मुझे अपनी लाइफ में नहीं चाहिए।”

प्रिया हैरान थी और उसने हैरानी से कहा, “ तु मुझे पूरी बात नहीं बताएगी, तो मैं तेरी मदद कैसे करूंगी ? पहले आराम से सांस ले । देख मैंने पंखा चला दिया है, थोड़ी देर में कमरा भी ठंडा हो जाएगा। तब तक पानी पी और मुझे बता, क्या पिएगी ? चाय या कॉफी । मैं तेरे लिए बनाती हूं और उस के बाद मुझे बताना, कि तेरे साथ क्या हुआ है।”

थोड़ी देर बाद प्रिया और राधा दोनों के हाथों में चाय का कप था और अपने कांपते हुए हल्के हल्के हाथों से राधा चाय पीने लगती हैं। अब तक उसने सब कुछ बता दिया था प्रिया को। वह किस तरीके से हताश अवस्था में किसी दूसरे कमरे में चली गई थी। और जहां पर उस की मुलाकात एक घायल शख्स से होती है। शायद वह शख्स गैंग लॉर्ड या फिर किसी अंडरवर्ल्ड के लोगों का शिकार हो चुका था । इसीलिए उस कमरे में छुप कर बैठा हुआ था । और अब उसने राधा को भी वहां से ऐसे भगा दिया था, जैसे की राधा ने कोई क्राइम किया है।

उस की पूरी बात सुनने के बाद प्रिया कहती है, “ अरे यार तूने तो बहुत अच्छा काम किया है। एक घायल इंसान की मदद की है। उस की जान बचाई है। और तू जो सोच रही है, जरूरी थोड़ी ना है वही हो सकता है। वह कोई ऐसा आदमी हो, जो बाहर से हमारे शहर आया हो । और यहां आ कर मुसीबत में पड़ गया हो। इसलिए वह नहीं चाहता हो, कि तेरे बारे में या फिर उस के बारे में किसी को पता चले। तू खामखा बहुत ज्यादा सोच रही है। चिल कर ”

“ तु मुझे चिल करने के लिए कैसे कह सकती है? जब मेरी लाइफ में चिली (मिर्ची ) जैसे लोग, ऊपर से वह आदमी जो मुझे कल रात मिला था। अगर वह कोई विदेशी या फिर कोई बाहर का नहीं हुआ, बल्कि किसी गैंग लॉर्ड से उसका कोई कांटेक्ट हुआ तो क्या होगा. यार मेरी तो शक्ल भी सीसीटीवी में आ गई होगी । गैंग लॉर्ड के लोग कहीं मेरे पीछे ना पड़ जाए। मुझे पता है उस आदमी ने मुझे अपने कमरे से बाहर निकालने से पहले क्या कहा था । उसने मुझसे कहा था, चाहे कुछ भी हो जाए पीछे पलट कर मत देखना।”

राधा एकदम परेशान और हताश हालत में प्रिया से यह कह रही थी। उस की बात सुन कर प्रिया ने कहा, “ हां ठीक है । समझ गई । तू परेशान है । लेकिन फिर भी मैं यही कहूंगी । मुझे नहीं लगता है, कि तूने कुछ गलत किया है। एक घायल आदमी की मदद की है। इसमें क्या बुरा है ? अब तू इन सब के बारे में सोचना बंद कर। और यह सोच की आज महीने का आखिरी दिन है। अगर आज फ्लोर के सामने सबसे अच्छे सेल्स करने वालों का नाम लिया जाएगा, ऐसे में तुझे लगता है कि तेरा नंबर एक मे भीआयेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो समीर सर ने पहले ही बोल रखा है कि वह तुझे जॉब से निकाल देंगे। और उस के बाद तुझे एक नई जॉब ढूंढनी पड़ेगी।”

प्रिया की बात से राधा को याद आता है, कि उस के क्रेडिट कार्ड बेचने में पूरा महीना चला गया। लेकिन उसने एक भी कार्ड नहीं बेचा और आज महीने का आखिरी दिन है। यानी की आज उस की नौकरी पर बात है। उसका और अंजली दीदी वाला आईडिया भी कुछ खास काम नहीं किया । अंजली दीदी ने तो फिर भी एक क्रेडिट कार्ड बेच दिया था। लेकिन राधा तो आज भी कुछ नहीं कर पाई। उसका वैसे भी दिमाग खराब हो रखा था ।ऐसे में वह ऑफिस जा कर और अपना मूड नहीं खराब करना चाहती थी।

“नहीं प्रिया मैं ऑफिस नहीं जाऊंगी। दरअसल मैं काम पर ही नहीं जाऊंगी । जब पता है, कि वह लोग मुझे काम पर से निकाल देंगे। तो फिर क्यों वहां जा कर अपनी बेइज्जती करवाना? इससे अच्छा तो यही है , कि मैं यहां पर रह कर अपने लिए दूसरी नौकरी तलाश करती हूं।”

Write a comment ...

Mr Rakesh Mauryaya

Show your support

Hello I am new support me...

Write a comment ...