पिछले 2 घंटे से ज्योति मैनेजर साहब के केबिन में बैठ कर परेशान हो रही थी। और मैनेजर साहब के केबिन के अंदर से उस पर गुस्से में कुछ कह रहे थे। वो आपस में क्या बातें कर रहे थे, यह तो किसी को सुनाई नहीं दे रहा था। क्योंकि उनका केबिन साउंड प्रूफ था। बस कांच की उस खिड़की से अंदर हो रही उस टेंशन वाले माहौल को सब देख पा रहे थे।
बस एक राधा ही थी और उसके साथ अंजली दीदी, जो उन दोनों को इस तरीके से टेंशन में देख मजे ले रही थी। अंजली दीदी ने धीरे से राधा का हाथ पकड़ा और उनसे कहा, “ राधा तुमने तो इन्हें पूरी तरह से टेंशन में डाल दिया है। पर जरा संभल कर, अगर इन्हें पता चल गया ना की बबिता का पेपर तुमने चुराया है तो मैनेजर साहब तुम्हें छोड़ेंगे नहीं ।”
राधा ने भी अपनी आंखें छोटी की और मुंह बनाते हुए अंजली दीदी घूर कर कहती है, “ मेरा चोरी करना चोरी नहीं कहलाता है । वह लोग खुद भी तो चोरी कर रहे थे ना। हम सब सुबह से शाम तक यहां पर गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाते रहते थे और वह मैडम अलग से मलाई खा रही थी थोड़ी मलाई खाने का हक तो हमें भी है ना? ज्यादा कुछ नहीं बस मुझे उतने पैसे ही तो मिलने चाहिए ना, जितनी की मुझे जरूरत है। आप जानती हैं ना मुझे पैसों की कितनी जरूरत है। और इस नौकरी की भी। आप एक काम कीजिए इसमें 20 नंबर है । एक काम करते हैं 10 नंबर पर मैं कॉल करती हूं और 10 नंबर पर आप कॉल कीजिए। शाम तक ज्यादा नहीं एक-एक क्रेडिट कार्ड तो बेच ही देंगे।”
अंजली दीदी घबरा कर राधा को देखने लगती है। राधा अपनी पर्स में हाथ डालते हैं और धीरे से वह पेपर निकालती है। वह जल्दी से उस पेपर को बीच में से फोल्ड करती है और उस पेपर को बीच में से फाड़ देती है। जिससे 10-10 नंबरों के दो पेपर बन जाते हैं। वह एक पेपर अंजली दीदी की तरफ करती है और कहती है, “ बेस्ट ऑफ़ लक।”
अंजली दीदी हंसते हुए हा में सर हिलाती है। राधा और अंजली दीदी अपने-अपने सिस्टम पर ठीक से बैठ जाती हैं और उस पेपर को छुपा कर उसमें से नंबर डायल करके कस्टमर के साथ बात करने लगते हैं।
तभी फ्लोर पर एक पियुन आता है। जिसके हाथ में चाय और कॉफी के कप थे। वह सब के वर्कस्टेशन पर कॉफी का कप रख रहा था। यहां पर सुबह सबको चाय और कॉफी दी जाती थी। पियुन एक एक कर के सबके वर्क स्टेशन पर आकर कॉफ़ी के कप को रखता है और आगे बढ़ता जाता है । इसी तरीके से वह राधा के पास भी आता है । वह पहले अंजली दीदी के पास चाय रखता है। क्योंकि वह चाय पीती हैं और उसके बाद वह राधा के पास आता है। और उसके पास चाय का कप रख देता है। फिर तभी उसे याद आता है और कहता है, “ सॉरी मैडम आप तो कॉफी पीती है ना?”
पियुन ने उस चाय के कप को उठाया और अगला कप कॉफी का रखने को ही होता है, कि राधा ने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया था कि उसके वर्क स्टेशन पर चाय कॉफ़ी रखने के लिए पियुन उसके ठीक पीछे खड़ा है। राधा ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उस समय पियुन ने भी अपना हाथ कॉफ़ी के कप के साथ आगे बढ़ाया था। राधा का हाथ कॉफ़ी के कप में लग जाता है और सारी कॉफी उसके वर्क स्टेशन पर फैल जाती है।
राधा जल्दी से खड़ी हो जाती है। क्योंकि थोड़ी सी कॉफी उसके हाथ पर भी गिर गई थी । और बाकी सारी उस टेबल पर । पियुन घबरा जाता है। उसने जल्दी से सारी कॉफी साफ करने के लिए अपने कंधे पर पड़ा हुआ कपड़ा लिया और जल्दी से उस वर्क स्टेशन को साफ करने लगा।
“ गलती से हाथ लगा । सॉरी मैडम प्लीज आप मेरी कंप्लेंट मत करना।” पियुन गभराते हुए मंदिर से कहता है। तो राधा अपने हाथों को साफ करते हुए कहती है, “ कोई बात नहीं भैया आप जाइए।”
टेबल को साफ कर के पीयुन वहां से चला जाता है और राधा फिर से अपनी सीट पर बैठ जाती है । अंजली दीदी राधा का हाथ पकड़ते हुए कहती है, “ हाथ तो ठीक है ना तुम्हारा? जला तो नहीं ज्यादा ? अगर ऐसा हुआ तो हम नीचे मेडिकल रूम में जा सकते हैं।”
राधा ना में सर हिलाते हुए कहती है, “ हाथ तो ठीक है। लेकिन वह पेपर खराब हो गया है। राधा अपने कीबोर्ड के नीचे से पेपर निकालती है, तो देखती है उस सारे पेपर में कॉफ़ी फैल चुकी है। और अब उसमें बहुत मुश्किल से ही नंबर नजर आ रहे हैं।
अंजली दीदी परेशान हो जाती है और राधा भी परेशान हो जाती है। अंजली दीदी उस पेपर पर नजर डालते हुए कहा, “ क्या तुमने अभी तक एक भी नंबर पर कॉल नहीं किया था ?”
राधा ने ना में सर हिलाते हुए कहा, “ नहीं दीदी मैंने सच में किसी नंबर पर कॉल ही नहीं किया था। मैं तो देख रही थी, कि कहां से शुरू करूं । तब तक यह सब कुछ हो गया। अब मैं क्या करूं ?”
राधा को इतना परेशान देख अंजली दीदी ने अपने पास रखा हुआ आधा नंबर वाला पेपर उसके पास बढ़ाते हुए कहा, “ तुम इससे कम करो। मैं वैसे ही काम कर लूंगी, जैसे रोज करती थी।”
लेकिन राधा ना में सर हिलाती है और उस पेपर को वापस अंजली दीदी की तरफ करते हुए कहती है, “ नहीं दीदी, आपको भी तो पैसों की जरूरत है । आपके पति ने जब से आपको छोड़ा है, तब से आप अपने बच्चे की परवरिश अकेले ही कर रही हैं।”
अंजली दीदी ने कहा, “ और तुम्हें भी तो पैसा चाहिए ना। तुम भी तो कितनी मेहनत कर रही हो। वकीलों की फीस, आने जाने का खर्चा, तुम्हारा खर्च यह सब तुम भी तो अकेले ही मैनेज कर रही हो ।”
राधा फीकी मुस्कान के साथ कहती है, “ कोई बात नहीं दीदी । जो होगा देखा जाएगा। वैसे भी आज मैं अपनी मम्मी से बात करके आई हूं। मुझे पता है, मेरी मम्मी मेरे लिए अच्छा ही सोच कर बैठी होगी। और मैंने जो आपको आधा नंबर दिया है, आप उसमें से काम कीजिए। क्योंकि मैं बाकी नंबर से काम कर लूंगी । हां इस पर कॉफ़ी गिर गई है और नंबर दिख नही रहे हैं । लेकिन कोई बात नहीं। मैं कोशिश कर लूंगी की नंबर कौन सा है। थोड़ा-थोड़ा जो दिख रहा है, उसी से काम कर लूंगी।”
राधा ने उस पेपर को अपने सामने किया और उसमें से नंबर देखने लगी। उसने डायलर को कंप्यूटर पर लगाया और अगले ही पल उसमें से नंबर डायल करने लगी।
खंडहर पर घायल हालत में बैठा विक्रम काफी देर से अपने किसी साथी को या फिर अपनी सिक्योरिटी को कांटेक्ट करने की कोशिश कर रहा था । लेकिन यहां पर कभी नेटवर्क आता तो कभी नेटवर्क चला जाता । एक सेकंड के लिए नेटवर्क आता, तो अगले ही पल नेटवर्क पूरी तरह से गायब हो जाता। विक्रम परेशान हो गया था । उसे पता था, कि जो लोग उसके पीछे पड़े हैं वह अभी तक गए नहीं हैं। और अभी भी उसे ढूंढ रहे होंगे। उसे जल्द से जल्द अपने किसी आदमी तक को कांटेक्ट करना था। वह अपने फोन को अपने हाथ में लिए अपने हाथ को ऊपर की तरफ करते हुए नेटवर्क ढूंढने की कोशिश कर रहा था । लेकिन नेटवर्क यहां मिलना बहुत ही मुश्किल हो रहा था।
वहीं दूसरी तरफ राधा पहले नंबर पर कॉल करने ही वाली थी, लेकिन उसे नंबर ही समझ में नहीं आ रहा था । अंजली दीदी उसकी मदद कर रही थी, “ राधा यह 7 हे।”
“ पक्का ना अंजली दीदी ? यह 7 होगा ना।” राधा ने टेंशन में अंजली दीदी की तरफ देखते हुए कहा । तो अंजली दीदी ने कहा, “ दिख तो 7 की तरह ही रहा है।”
राधा ने डायलर पर 7 नंबर दबा दिया और वह नंबर डायल होने लगा। राधा खुश हो गई और कहा, “ यह 7 ही था।” तभी कस्टमर ने फोन उठा लिया और राधा कस्टमर के साथ नॉर्मल तरीके से बात करने लगी। लेकिन इस कस्टमर के पास पहले से ही बहुत सारे क्रेडिट कार्ड थे। और उसने राधा को मना कर दिया, कि उसे और क्रेडिट कार्ड नहीं चाहिए ।
अपने दूसरे नंबर के साथ राधा ने फिर से ट्राई किया । लेकिन इस नंबर पर उसे कुछ ठीक से नजर ही नहीं आ रहा था। उसने फिर से अंजली दीदी को मदद के लिए बुलाया, “ अंजली दीदी अब यह बताइए ना, यह क्या है ? यह तीन है या आठ है ?;मुझे पता ही नहीं चल रहा है।”
अंजली दीदी ने अपना चश्मा ठीक करते हुए कहा, “ यह तो मुझे भी पता नहीं चल रहा है, कि तीन है या आठ है। शायद तीन है। दिख तो आठ की तरह लग रहा है।”
एक नंबर के लिए इतना परेशान होती हुई राधा को अपने टेबल के पास लगी हुई माता रानी की छोटी सी फोटो नजर आती है । वह धीरे से उस तस्वीर को देखती हैं और अब मन में कहती है, “ मम्मी यह क्या कर रही है आप? मुश्किल से तो नौकरी बचाने का एक जरिया मिला है । और उसमें भी इतनी प्रॉब्लम है । कुछ तो कीजिए। मेरी लाइफ में कितनी सारी प्रॉब्लमस है। आप उसे सॉल्व नहीं करेंगे तो और कौन करेगा? इस दुनिया में आपके सिवा मेरा है ही कौन ?”
“ राधा यह आठ है।” अंजली दीदी ने अपना चश्मा सही करते हुए कहा। तो राधा कहती है, “ पक्का ना अंजली दीदी 8 ही हे ना ?”
अंजली दीदी ने हा में सर हिलाया और राधा से कहा, “ बिल्कुल यह आठ ही है । तुम बेफिक्र रहो और इस नंबर पर कॉल करो।”
राधा एक गहरी सांस छोड़ती है और फिर अपने कानों पर हेडफोन लगाती है। वह डायलर से नंबर डायल करती है और डायलर ने नंबर उठाया उस नंबर को डिक्लाइन बता दिया।
“ आप जिस नंबर पर संपर्क करना चाहते हैं, वह कवरेज क्षेत्र से बाहर है।” राधा को यही मैसेज सुनाई दे रहा था। उसने इधर से कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। अंजली दीदी ने कहा, “ क्या हुआ तुमने फोन क्यों काट दिया ?” राधा कहती है, “ अरे यह नंबर तो आउट ऑफ कवरेज बता रहा है।”
अंजली दीदी ने दोबारा से डायलर पर नंबर रिडाययल करते हुए कहा, “ हां तो क्या हो गया?;एक बार फिर से ट्राई कर लो।हमारे पास 10 ही तो नंबर है । इस तरीके से सारे नंबर्स को छोड़ दोगी तो कैसे काम चलेगा?”
डायलर ने फिर से नंबर उठाया और उस पर कॉल भेजने लगा। राधा ने फिर से अपना हेडफोन पहन लिया।
वहीं दूसरी तरफ विक्रम नेटवर्क ढूंढने की कोशिश कर रहा था । उसे 1 मिनट में जैसे ही नेटवर्क मिलता है, वह तुरंत अपनी स्क्रीन पर उंगली रखते ही वाला था, कि अगले ही पल उसके फोन पर फोन आने लगता है।
विक्रम उस फोन को काटने ही वाला था। लेकिन तभी उसे अपने कानों में उन लोगों की आवाज सुनाई देती है। जो शायद आसपास ही थे । विक्रम जल्दी से एक कोने में छुप जाता है। और देखता है । उसका फोन अभी भी वाइब्रेट कर रहा है। इसका मतलब कॉल अभी भी चल रही है। विक्रम के पास यह आखरी मौका था। यहां से निकलने का । उसने जल्दी से फोन उठाया और अपने कान पर लगाते हुए कहा, “ हेलो ।”
“ गुड आफ्टरनून सर, मैं PNB बैंक से राधा बात कर रही हूं। सर हमारी कंपनी बहुत अच्छी स्कीम के साथ क्रेडिट कार्ड लेकर आई है। क्या आपको क्रेडिट कार्ड की जरूरत है ?”
“ 00000 इस नंबर पर मेरी लोकेशन भेजो।” विक्रम ने एकदम से कहा तो राधा हैरान हो जाती है । और हैरानी से डायलर पर चल रहे नंबर को देखती हैं। नंबर तो कस्टमर का ही है। पर यह कस्टमर क्या बोले जा रहा है ?
“ आई एम सॉरी सर । आप क्या कह रहे हैं, मैं कुछ समझी नहीं। मैं आपको क्रेडिट कार्ड के बारे में बता रही थी। क्या आपको कोई क्रेडिट कार्ड चाहिए ? गोल्ड, प्लैटिनम या सिल्वर।”
लोगों की आवाज़ विक्रम के कानों में और नजदीक से सुनाई देने लगी थी। विक्रम ने जल्दी से राधा से फोन पर कहा, “ मैंने तुम्हे जो नंबर बताया है, उस नंबर पर मेरा करंट लोकेशन भेजो अभी इसी वक्त। और उसके बाद तुम्हारी कंपनी का जो सबसे महंगा क्रेडिट कार्ड होगा, मैं उसका कॉर्पोरेट कनेक्शन खरीद लूंगा। तुमने ऐसा नहीं किया, तो मैं तुम्हारी कंपनी को रातों रात बरबाद कर दूंगा । इसलिए जल्दी से इस नंबर पर मेरे लोकेशन भेजो।”
पर तभी विक्रम का नेटवर्क फिर से चला जाता है और कॉल अपने आप डिस्कनेक्ट हो जाती है। राधा हैरान हो जाती है और हैरानी से उस डिस्कनेक्ट कॉल पर चल रहे नंबर को देखती हैं। वह हैरानी से उसकी कहीं बात सोचने लगती है।
अंजली दीदी जब उसके चेहरे का उड़ा हुआ रंग देखती है तो कहती है, “ क्या हुआ राधा ?”
“ पता नहीं दीदी, शायद किसी पागल के पास कॉ
ल कनेक्ट हो गई थी ।” राधा ने भी बेफिक्री के साथ अगला नंबर डायल करते हुए कहा।

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