राधा जैसे ही कॉल सेंटर के सामने उतरती है, वह घबराकर अपनी घड़ी में टाइम देखती है। 10 बज चुके थे और उसकी शिफ्ट भी 10 बजे से ही शुरू होती थी। अगर वह 10:05 पर भी पहुंचती, तो उसकी टीम लीडर उसे बहुत सुनाने वाली थी।
जल्दी से पर्स में से ₹20 निकालकर वह ऑटो वाले को पकड़ाने लगी, लेकिन ऑटो वाला उसे रोकते हुए बोला, "मैडम, ₹20 कहां दे रही हो? ₹50 किराया होता है।"
राधा भौंहें चढ़ाते हुए बोली, " दूसरी दुनिया से आई हूं क्या मैं? जो मुझे बेवकूफ बना रहे हो? रोज़ का आना-जाना है मेरा, यह चालाकी किसी और के साथ करना। मंदिर से यहां तक के ₹20 ही लगते हैं और मैं ₹20 ही दूंगी। चाहिए तो लो, वरना छोड़ दो।"
ऑटो वाला गुस्से में बाहर निकलकर बोला, "मैडम, लड़की हो, इसलिए तमीज़ से बात कर रहा हूं, वरना पैसे निकालना मैं अच्छे से जानता हूं।"
राधा चिल्लाते हुए बोली, "धमकी दे रहे हो? पुलिस बुलाऊं अभी? ₹20 के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते फिरोगे।"
ऑटो वाला झल्लाकर बोला, "पागल हो क्या ₹20 के लिए पुलिस बुलाने की धमकी दे रही हो? इतनी बड़ी कंपनी के सामने खड़ी हो और ₹20 के लिए बहस कर रही हो?"
राधा हंसते हुए बोली, "अरे, यह कंपनी क्या मेरे ससुर की है? काम करती हूं यहां पर, मुझे दहेज में नहीं मिली।"
तभी राधा के कंधे पर किसी का हाथ पड़ा और एक जानी-पहचानी आवाज़ आई, "हां, यह काम करती है यहां, लेकिन अगर अगले 5 मिनट में अंदर नहीं गई, तो इसके ससुर जी इसे नौकरी से निकाल देंगे।"
राधा ने पलटकर देखा तो प्रिया थी। उसने पर्स से ₹30 निकालकर ऑटो वाले के हाथ में रखे और बोली, "चलो, निकलो यहां से, और आज के बाद इस इलाके में मत दिखना, वरना सवारी मिलना तो दूर, यह लड़की तुम्हारा ऑटो ही तोड़ देगी।"
ऑटो वाला पैसे लेकर झुंझलाता हुआ चला गया। राधा ने गुस्से से प्रिया की ओर देखा, "क्या जरूरत थी पैसे देने की? तुझे पता है, वह ₹30 एक्स्ट्रा मांग रहा था।"
प्रिया ने हंसते हुए कहा, "राधा चौहान , कभी करोड़ों में खेलने वाली विजय सिंह चौहान की बेटी, आज ₹30 के लिए बहस कर रही है?"
राधा का चेहरा उतर गया। "क्या करूं, प्रिया ? अब हालात बदल गए हैं। पापा नहीं रहे, प्रॉपर्टी पर केस चल रहा है और लॉयर को देने के लिए पैसों की जरूरत है। इसलिए यह नौकरी करनी पड़ रही है।"
प्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "तू क्यों टेंशन ले रही है? मैंने तुझे नौकरी दिलवा दी, लेकिन सेल्स डिपार्टमेंट में एक भी सेल नहीं की तो तुझे निकाल भी दिया जाएगा। समीर सर आज फिर गुस्से में हैं। तू संभल लेगी न?"
राधा की आंखें बड़ी हो गईं। "अरे! तूने बातों में लगा दिया। मैं वैसे ही लेट हो गई हूं। अब तो डांट पक्की है।" कहकर वह अंदर भागी। प्रिया भी हंसते हुए उसके पीछे गई।
उधर, दूसरी तरफ, विक्रम अपने गोदाम में बैठा था। सामने नोटों से भरा बैग रखा था। उसके सामने दो लड़के खड़े थे, घबराए हुए। एक ने कहा, "बॉस, हम सच कह रहे हैं। हमने एक भी पैसा नहीं निकाला। पार्टी ने कहा कि पूरे पैसे नहीं मिल सकते।"
विक्रम ने गन को हाथ में घुमाते हुए दूसरे लड़के की ओर देखा, जो पसीने में तर था। विक्रम ने घूरते हुए पूछा, "तुम कुछ कहना चाहते हो?"
वह लड़का घुटनों के बल बैठ गया और गिड़गिड़ाने लगा, "बॉस, माफ कर दीजिए। गलती हो गई। मैंने बैग से ₹2000 निकाले थे, बहन की स्कूल फीस के लिए। सोचा, जल्द ही वापस रख दूंगा, लेकिन नहीं कर पाया। मुझे लगा, इतने पैसे में ₹2000 का क्या पता चलेगा? लेकिन मैं गलत था। प्लीज, माफ कर दीजिए।"
खड़े हुए लड़के का चेहरा सफेद पड़ गया। वह जानता था कि विक्रम को धोखा पसंद नहीं। विक्रम धीरे-धीरे खड़ा हुआ, उसके करीब गया और उसके बाल पकड़कर उसे खींच लिया। पूरे कमरे में सन्नाटा पसर गया।
लड़के के मुंह से एक चीख निकल गई। विक्रम उसकी आंखों में गहरी नजरों से देखते हुए बोला, "अगर तूने मांग लिया होता, तो शायद भीख समझकर तुझे दे देता। मगर तूने जो किया है, उसे चोरी कहते हैं। तेरी इस हरकत की वजह से सामने वाली पार्टी को लगा कि मैंने बेईमानी की है। क्या तुझे पता है, इसका मतलब क्या है?"
लड़का डरते हुए विक्रम की आंखों में देख रहा था। विक्रम ने अपनी तीखी नजरें जमाते हुए कहा, "इसका मतलब है कि अब उन्हें लगेगा कि विक्रम रायजादा अपने धंधे में बेईमान है। दो हज़ार रुपये की बात नहीं है, बात मेरे ईमान की है। मैं सौदे में घाटा बर्दाश्त कर सकता हूं, लेकिन फायदे के लिए किसी से झूठ नहीं बोल सकता।"
विक्रम आगे बढ़ा और पैसों से भरे ब्रीफकेस के पास जाकर रुका। उसने गुस्से में लड़के को घूरते हुए कहा, "दुनिया की कोई भी दौलत विक्रम रायजादा की कीमत नहीं लगा सकती।" यह कहते ही उसने अपनी जेब से लाइटर निकाला और ब्रीफकेस को आग के हवाले कर दिया। देखते ही देखते लाखों रुपये धुएं में तब्दील हो गए।
एक ओर राधा थी, जो मात्र तीस रुपये के लिए ऑटो वाले से झगड़ रही थी, और दूसरी ओर विक्रम , जिसके लिए लाखों रुपये भी कोई मायने नहीं रखते थे।
राधा जल्दी से अपना आई-कार्ड गले में टांगते हुए अपने ऑफिस पहुंची। जैसे ही वह अंदर आई, टीम लीडर समीर ने दरवाजे पर ही उसे रोकते हुए कहा, "वहीं रुक जाओ, राधा चौहान । तुम पूरे दस मिनट लेट हो।"
राधा ने जल्दी से सफाई दी, "सॉरी सर, मंदिर से आते वक्त देर हो गई। आगे से ऐसा नहीं होगा, कृपया इस बार माफ कर दीजिए।"
समीर गुस्से में उसकी ओर बढ़ते हुए बोला, "आगे से गलती होने का तो सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि हो सकता है, तुम्हें आगे का मौका मिले ही ना। आज तुम्हारा इस ऑफिस में आखिरी दिन हो सकता है।"
राधा की आंखों में चिंता झलक आई। वह गिड़गिड़ाते हुए बोली, "सर, कृपया ऐसा मत कीजिए। मुझे इस नौकरी की सख्त जरूरत है।"
समीर ने अपनी बाहें मोड़ते हुए सख्ती से कहा, "अगर तुम्हें नौकरी इतनी जरूरी है, तो फिर तुम काम क्यों नहीं करती? तुम्हें यहां बैठे एक महीना हो गया और अब तक एक भी क्रेडिट कार्ड सेल नहीं किया। यह सेल्स डिपार्टमेंट है, और तुम्हें मेहनत करनी होगी। देखो ज्योति को, उसने एक दिन में चार-चार गोल्ड क्रेडिट कार्ड बेचे हैं। अगर तुम्हें काम नहीं करना, तो यहां से चली जाओ। तुम्हारी जगह किसी और को रख लूंगा।"
बाहर रिसेप्शन पर बैठी प्रिया यह सब देख रही थी। उसे राधा के लिए बुरा लग रहा था, मगर वह कुछ नहीं कर सकती थी।
राधा ने मायूसी से कहा, "आई एम सॉरी सर। कृपया मुझे इस महीने के अंत तक एक मौका और दे दीजिए। मैं वादा करती हूं, कम से कम एक क्रेडिट कार्ड तो सेल करके दिखाऊंगी। जिस कंपनी ने मुझे सहारा दिया, उसे मैं यूं ही छोड़कर नहीं जा सकती।"
समीर ने एक गहरी नजर डाली और कहा, "ठीक है, लेकिन शाम तक कम से कम एक क्रेडिट कार्ड बेचना ही होगा, वरना तुम्हें आज ही नौकरी से निकाल दिया जाएगा।"
राधा की आंखों में आंसू आ गए। उसने सिर हिलाया और धीरे से अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। कंप्यूटर ऑन करके उसने काम शुरू किया। तभी उसके पास बैठी अंजली , जो उम्र में उससे बड़ी थी, बोली, "राधा , क्या हुआ? कोई परेशानी है? पूरे महीने में तुमने एक भी सेल नहीं किया। ऐसे में कैसे चलेगा?"
राधा की आंखों से आंसू बह निकले। वह रोते हुए बोली, "दीदी, मुझे खुद भी बहुत बुरा लगता है जब शाम को सब अपनी सेल गिनते हैं और मेरा नंबर हमेशा जीरो रहता है। पर मैं क्या करूं? मुझे जो भी नंबर मिलते हैं, उन्हें पहले ही दस-दस बार कॉल जा चुकी होती है। ऐसे में कोई मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं होता। आप ही बताइए, एक इंसान के पास अगर दस बार कॉल जाएगी, तो वह मेरी कॉल पर बात कैसे करेगा?"

Write a comment ...